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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

आपदा को अवसर में कैसे बदला जाता है, यह कोई यूपी से सीखे। कोरोना के जिस भयावह दौर में आम आदमी अपने घरों में कैद था। उस दौर में भी ये यूपी के किसान ही थे, जो तमाम सावधानियां बरतते हुए भी खेत में काम कर रहे थे या करवा रहे थे। नतीजा क्या निकला? यूपी गेहूं के उत्पादन में पूरे देश में नंबर 1 बन गया। कुछ चीजें जब हो जाती हैं और आप उनके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो पता चलता है कि यह तो चमत्कार हो गया। ऐसा कभी सोचा ही नहीं गया था और ये हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है यूपी के कृषि क्षेत्र की। कोरोना के जिस कालखंड में आम आदमी अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, सावधानियां बरतते हुए चल रहा था, उस यूपी में ही किसानों ने कभी भी अपने खेतों को भुलाया नहीं। क्या धान, क्या गेहूं, क्या मक्का हर फसल को पूरा वक्त दिया। निड़ाई, गुड़ाई से लेकर कटाई तक सब सही तरीके से संपन्न हुआ। यहां तक कि कोरोना काल में भी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की। इन सभी का अंजाम यह हुआ कि यूपी गेहूं के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ बल्कि देश भर में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्य भी बन गया।


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अकेले 32 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करता है यूपी

यूपी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, यूपी में देश के कुल उत्पादन का 32 फीसद गेहूं उपजाया जाता है। यह एक रिकॉर्ड है, पहले हमें पड़ोसी राज्यों से गेहूं के लिए हाथ फैलाना पड़ता था। अब हमारा गेहूं निर्यात भी होता है, पड़ोसी राज्यों की जरूरत के लिए भी भेजा जाता है। शाही के अनुसार, ढाई साल तक कोरोना में भी हमारे किसानों ने निराश नहीं किया। इन ढाई सालों के कोरोना काल में सिर्फ कृषि सेक्टर की उत्पादकता बढ़ी। किसानों ने दुनिया को निराश नहीं होने दिया। खेतों में अन्न पैदा होता रहा तो गरीबों को मुफ्त में राशन लेने की दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाई गई। आपको तो पता ही होगा कि देश में 80 करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त में दो बार राशन दिया गया। राज्य सरकार ने भी किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के साथ ही यह तय किया कि महामारी के चलते किसी के भी रोजगार पर असर न पड़े। कोई भूखा न सोए, एक जनकल्याणकारी सरकार का यही कार्य भी होता है।

21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर मिली सिंचाई की सुविधा

आपको बता दें कि यूपी में पिछले 5 सालों में हर सेक्टर में कुछ न कुछ नया हुआ है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से पिछले पांच साल में प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिली है। सरयू नहर परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई सुनिश्चित हुई है। हर जिले में व्यापक स्तर पर नलकूप की स्कीम चलाने के साथ सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में सोलर पंप लगाने की व्यवस्था की जा रही है। तो, अगर गेहूं समेत कई फसलों के उत्पादन में हम लोग आगे बढ़े हैं तो यह सब अचानक नहीं हो गया है। यह सब एक सुनिश्चित योजना के साथ किया जा रहा था, जिसका नतीजा आज सामने दिख रहा है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

कृषि,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का घटक ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी)’’ कार्यान्वित कर रहा है। 

पीएमकेएसवाई- पीडीएमसी के तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों यथा ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्‍यम से खेत स्तर पर जल उपयोग की क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया जाता है। 

ड्रिप सूक्ष्म सिचाई तकनीक से न केवल जल की बचत करने में, बल्कि उर्वरक के उपयोग, श्रम खर्च और अन्य कच्‍चे माल की लागत को कम करने में भी मदद मिलती है।

चालू वर्ष के लिए 4000 करोड़ रुपये का वार्षिक आवंटन पहले ही हो गया है और राज्य सरकारों को सूचित कर दिया गया है। 

राज्य सरकारों ने इस कार्यक्रम के तहत कवर किए जाने वाले लाभार्थियों की पहचान कर ली है।वर्ष 2020-21 के लिए कुछ राज्यों को फंड जारी करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। 

 इसके अलावा, नाबार्ड के साथ मिलकर 5000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म सिचाई कोष बनाया गया है। इस कोष का उद्देश्य राज्यों को विशेष सिंचाई और अभिनव परियोजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म सिचाई की कवरेज के विस्तार के लिए आवश्‍यक संसाधन जुटाने में सुविधा प्रदान करना है। 

इसका एक अन्‍य उद्देश्‍य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के तहत उपलब्ध प्रावधानों से परे सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना है। 

ब तक नाबार्ड के माध्यम से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को सूक्ष्म सिचाई कोष से क्रमश: 616.14 करोड़ रुपये और 478.79 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 

इन परियोजनाओं के अंतर्गत कवर किया गया क्षेत्र आंध्र प्रदेश में 1.021 लाख हेक्टेयर और तमिलनाडु में 1.76 लाख हेक्टेयर है। 

 पिछले पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20 तक) के दौरान 46.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।  

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

नई दिल्ली। - लोकेन्द्र नरवार देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं संचालित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली कैबिनेट में देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसानों व कृषि के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाई गईं हैं। इन योजनाओं के जरिए फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ किसानों को आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है। इसके अलावा देश के किसानों को अपना फसल उत्पादन बेचने के लिए एक अच्छा बाजार प्रदान किया जा रहा है। किसानों के लिए चलाई जा रहीं तमाम कल्याणकारी योजनाओं में समय के साथ कई सुधार भी किए जाते हैं। जिनका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को ही फायदा मिलता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर - ICAR) द्वारा ''आजादी के अमृत महोत्सव'' पर एक पुस्तक का विमोचन किया है। इस पुस्तक में देश के 75000 सफल किसानों की सफलता की कहानियों को संकलित किया गया है, जिनकी आमदनी दोगुनी से अधिक हुई है।


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आइए जानते हैं किसानों के लिए संचालित हैं कौन-कौन सी योजनाएं....

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ( PM-Kisan Samman Nidhi ) - इस योजना के अंतर्गत किसानों के खाते में सरकार द्वारा रुपए भेजे जाते हैं। ◆ ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई योजना - इस योजना के माध्यम से किसान पानी का बेहतर उपयोग करते हैं। इसमें 'प्रति बूंद अधिक फसल' की पहल से किसानों की लागत कम और उत्पादन ज्यादा की संभावना रहती है। ◆ परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY)) - इस योजना के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (पीएम-केएमवाई) - इस योजना में किसानों को वृद्धा पेंशन प्रदान करने का प्रावधन है। ◆ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) - इस योजना के अंतर्गत किसानों की फसल का बीमा होता है। ◆ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) - इसके अंतर्गत किसानों को सभी रबी की फसलों व सभी खरीफ की फसलों पर सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य प्रदान किया जाता है। ◆ मृदा स्वास्थ्य कार्ड- (Soil Health Card Scheme) इसके अंतर्गत उर्वरकों का उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जाता है। ◆ कृषि वानिकी - 'हर मोड़ पर पेड़' की पहल द्वारा किसानों की अतिरिक्त आय होती है। ◆ राष्ट्रीय बांस मिशन - इसमें गैर-वन सरकारी के साथ-साथ निजी भूमि पर बांस रोपण को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्धन, उत्पाद विकास और बाजारों पर जोर देने के लिए काम होता है। ◆ प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण - इस नई नीति के तहत किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराने का प्रावधान है। ◆ एकीकृत बागवानी विकास मिशन - जैसे मधुमक्खी पालन के तहत परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आमदनी के अतिरिक्त स्त्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि होती है। ◆ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) - इसके अंतर्गत कृषि फसलों के साथ-साथ डेयरी और मत्स्य पालन के लिए किसानों को उत्पादन ऋण मुहैया कराया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY))- इसके तहत फसल की सिंचाई होती है। ◆ ई-एनएएम पहल- यह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म के लिए होती है। ◆ पर्याप्त संस्थागत कृषि ऋण - इसमें प्रवाह सुनिश्चित करना और ब्याज सबवेंशन का लाभ मिलता है। ◆ कृषि अवसंरचना कोष- इसमें एक लाख करोड़ रुपए के आकार के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। ◆ किसानों के हित में 10 हजार एफपीओ का गठन किया गया है। ◆ डिजिटल प्रौद्योगिकी - कृषि मूल्य श्रंखला के सभी चरणों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग पर जरूर ध्यान देना चाहिए  
पानी की खपत एवं किसानों का खर्च कम करने में मदद करेगी केंद्र की यह योजना

पानी की खपत एवं किसानों का खर्च कम करने में मदद करेगी केंद्र की यह योजना

राजस्थान राज्य में खेती किसानी करने वाले कृषकों के हित में सिंचाई हेतु समुचित रूप से संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई पाइप लाइन योजना लागू की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत 60% प्रतिशत तक अनुदान, यानी 18,000 रुपये की धनराशि सब्सिडी के तौर पर दी जाती है। भारत के बहुत से क्षेत्रों में जल का स्तर काफी कम देखने को मिल रहा है। विभिन्न खेतिहर क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां भूजल का स्तर बिल्कुल गिर चुका है। राजस्थान राज्य के अधिकाँश क्षेत्रों की परिस्थितियां भी कुछ ऐसी ही हैं। भूमि बिल्कुल बंजर व सूखी पड़ी हुई है। फसलों की सिंचाई हेतु समुचित एवं पर्याप्त मात्रा में साधन उपलब्ध ना होने की स्थिति में ना ही खेती हो पति है और ना ही बेहतर उत्पादन अर्जित हो पाता। केंद्र सरकार ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए इसके उचित समाधान हेतु केंद्र प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जारी की है। राजस्थान राज्य सरकार द्वारा भी राज्य स्तर पर सिंचाई पाइप लाइन अनुदान योजना लागू की है। जिससे ट्यूबवेल की कनेक्टिविटी हेतु सिंचाई पाइप लाइन की खरीद करने पर अनुदान प्रदान किया जा सके। इसकी सहायता से जल की बर्बादी को कम कर फसल की जरुरत के हिसाब से सिंचाई का कार्य पूर्ण किया जा सके।

पानी की अत्यधिक खपत बचेगी

वर्तमान में अधिकाँश क्षेत्रों में सिंचाई हेतु परंपरागत विधियों को उपयोग में लाया जा रहा है। प्राचीन काल में किसान कुएं एवं बोरवेल जैसे साधनों से कृषि हेतु एक मुस्त पानी देते हैं। बहुत बार खेतों में जरुरत से ज्यादा पानी देने की स्थिति में फसल में सड़न-गलन उत्पन्न हो जाती थी जिससे उत्पादकता में काफी गिरावट आ जाती थी। इस समस्या से बचाव के लिए किसान पाइन लाइन का उपयोग कर फसल को आवश्यकतानुसार पानी दे सकते हैं। इससे पानी की बर्बादी रुकने के साथ-साथ 20 से 30 प्रतिशत तक बचत होगी एवं सिंचाई संबंधित कार्यों में भी सुविधा मिलेगी।

पाइप लाइन को खरीदने पर किसको कितना मिलेगा अनुदान

राजस्थान सरकार के माध्यम से चलाई गई सिंचाई पाइप लाइन स्कीम के अंतर्गत पाइन लाइन की खरीद पर अनुदान का फायदा लघु एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता में रखते हुए प्रदान किया जाना है। हालांकि, सामान्य श्रेणी के कृषकों को भी योजना के अंतर्गत शम्मिलित किया गया है।
  • लघु एवं सीमांत किसानों हेतु 60% प्रतिशत तक अनुदान यानी, अधिकतम 18,000 रुपये का अनुदान तय किया गया है।
  • सामान्य वर्ग के किसानों को 50% प्रतिशत अनुदान यानी अधिकतम 15,000 रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • लाभ लेने लिए क्या शर्तें हैं
  • सिंचाई पाइप लाइन योजना का फायदा लेने हेतु किसानों के समीप स्वयं खेती करने लायक भूमि उपलब्ध होनी बेहद आवश्यक है।
  • किसानों के पास सिंचाई के साधन यानी कि डीजल, ट्रैक्टर कुआं तथा ट्यूबवेल के जरिए चलने वाली पंप सेट भी होनी जरुरी है।
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यदि एक ही कुआं अथवा जल स्रोत होने पर अलग-अलग किसान आवेदन कर लाभ कामाना चाहते हैं, तो सरकार की ओर से विभिन्न मूल्यों पर अनुदान दिया जाएगा।

योजना का लाभ लेने के लिए यहां करें आवेदन

केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा किसी भी कृषि योजना में आवेदन करने से पूर्व स्वयं के जनपद के समीप कृषि विभाग के कार्यालय में पहुँचकर एक विस्तृत ब्यौरा प्राप्त कर सकते हैं।
इस योजना में आवेदन करने हेतु आधार कार्ड अथवा जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नवीन कॉपी होनी आवश्यक है।
किसी भी सीएससी सेंटर अथवा ई-मित्र केंद्र पर पहुँचकर सिंचाई पाइप लाइन योजना में ऑनलाइन तौर पर आवेदन किया जा सकता है।

किसान पाइप लाइन कहाँ से खरीदेंगे

सिंचाई पाइप लाइन योजना के नियमों के अनुसार, आवेदन करने के उपरांत कृषि विभाग समस्त कागजातों का सत्यापन करता है। यदि आप लाभार्थी के रूप में चयनित हुए तो कृषि विभाग में रजिस्टर्ड पाइप लाइन के निर्माता अथवा अधिकृत विक्रेता द्वारा ही सिंचाई की पाइप लाइन खरीदनी पड़ेगी। इस पाइप लाइन को नियुक्त करना होगा, जिसका सत्यापन कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। इसके उपरांत ही अनुदान की धनराशि कृषकों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी जाएगी। इस संदर्भ में आवेदन स्वीकृत होने के उपरांत कृषि पर्यवेक्षक से जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

भारत सरकार किसानों के कल्याण के लिए समय-समय पर कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है. अभी भी सरकार द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए पीएम किसान सम्मान निधि, किसान समृद्धि केंद्र, किसान क्रेडिट कार्ड और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. 

हम सभी जानते हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6000 दिए जाते हैं जो उन्हें ₹2000 की किस्त में तीन बार खाते में दिए जाते हैं. 

सरकार द्वारा किसानों को उनके बुढ़ापे के दौरान मदद करने के लिए एक पेंशन स्कीम भी चलाई जा रही है. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत किसान सरकार से पेंशन ले सकते हैं.

क्या है प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना?

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सरकार के द्वारा चलाई गई योजना है जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए चालू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बुढ़ापे में किसानों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देना है. 

18 से 40 साल की उम्र के किसान इस योजना के तहत फायदा ले सकते हैं. अगर जमीन की बात की जाए तो 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले छोटे और सीमांत किसान इस योजना के लिए आवेदन दे सकते हैं. 

इसके अलावा अगर उनके नाम पर राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी तरह की भूमिका रिकॉर्ड है तो इस योजना के तहत उन्हें योग्य नहीं माना जाएगा. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अनुसार एक बार किसान जब 60 वर्ष की उम्र पूरी कर लेता है तो उसके बाद उन्हें हर महीने ₹3000 की न्यूनतम पेंशन सरकार द्वारा दी जाएगी.  

इसके अलावा अगर किसी कारण से किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी या फिर परिवार को पेंशन का आधा हिस्सा यानी कि 50% पेंशन मुहैया करवाई जाएगी. सरकार द्वारा दी जाने वाली यह पेंशन केवल पति पत्नी के लिए ही लागू है एक बार किसान की मृत्यु होने पर उसके बच्चे इस योजना के तहत लाभ नहीं उठा सकते हैं. 

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कितने किसान  दे रहे हैं आवेदन?

इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के बीच में किसान आवेदन दे सकता है.  इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसानों को 60 साल की उम्र तक हर महीना केवल 55 से ₹200 का योगदान करना होगा. 

एक बार 60 वर्ष का हो जाने के बाद आप इस स्कीम के तहत पेंशन राशि प्राप्त करने के लिए योग्य हो जाते हैं. इसके बाद हर महीने उनके पेंशन खाते में एक निश्चित राशि सरकार द्वारा जमा होती रहेगी. 

इस योजना में सरकार मिलान योगदान देती है. उदाहरण के लिए अगर कोई भी किसान खाते में ₹200 जमा कर रहा है तो सरकार की तरफ से भी उस खाते में ₹200 जमा किए जाएंगे. आंकड़ों की मानें तो अभी तक लगभग 2 करोड़ से ज्यादा किसान प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के विकल्प को चुनने के लिए आवेदन दे चुके हैं

इस राज्य की सरकार डेयरी स्थापना के लिए 31 लाख का अनुदान मुहैय्या करा रही है

इस राज्य की सरकार डेयरी स्थापना के लिए 31 लाख का अनुदान मुहैय्या करा रही है

कृषकों की आमदनी को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न कोशिशें की जा रही हैं। सरकार किसानों को खेती के साथ पशुपालन के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। 

इसके लिए सरकार की तरफ से किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की तरफ से नंदिनी कृषक समृद्धि योजना (Nandini Krishak Samriddhi Yojana) का संचालन किया जा रहा है। 

विशेष बात यह है, कि इस योजना के अंतर्गत डेयरी खोलने के लिए सरकार की ओर से कृषकों को 31 लाख रुपए तक का अनुदान मुहैय्या कराया दिया जा रहा है। 

राज्य के पात्र किसान नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत आवेदन करके इस योजना का फायदा उठा सकते हैं।

डेयरी इकाई स्थापना के लिए कितना अनुदान दिया जा रहा है ?

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत किसान पशुपालकों को राज्य सरकार की तरफ से 25 दुधारू गायों की एक इकाई की स्थापना के लिए अनुदान दिया जाएगा। 

सरकार की तरफ से इकाई की स्थापना लागत 62,50,000 रुपए निर्धारित की गई है। इस पर पशुपालक किसान को 50% प्रतिशत यानी 31,25,000 रुपए का अनुदान यानी subsidy दी जाएगी। 

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ऐसे में उत्तर प्रदेश के पशुपालक किसान सरकार की इस योजना का फायदा उठाकर दुग्ध उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही अपनी आमदनी में भी इजाफा कर सकते हैं।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना हेतु पात्रता और शर्तें क्या हैं ? 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए कुछ पात्रताएं भी निर्धारित की गई हैं। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के लिए जो पात्रता निर्धारित की गई हैं, वह निम्नलिखित हैं। 

उत्तर प्रदेश का कोई भी किसान इस योजना का लाभ उठा सकता है। महिला आवेदक भी इस योजना की पात्र होंगी। किसान का बैंक में खाता होना अनिवार्य है। 

इस योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थी को कम से कम तीन साल गाय पालन का अनुभव होना जरूरी है। गायों की ईयर टैगिंग करना आवश्यक होगा। 

आवेदन करने वाले किसान के पास कम से कम 0.5 एकड़ जमीन का होना जरूरी है, ताकि वह गाय की डेयरी यूनिट की स्थापना कर सके। 

किसान के पास हरे चारे के उत्पादन के लिए कम से कम 1.5 एकड़ जमीन होनी चाहिए। यह जमीन पशुपालक की अपनी जमीन या लीज पर ली हुई जमीन भी हो सकती है। 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का लुफ्त उठाने हेतु अनिवार्य दस्तावेज 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना में आवेदन करने के लिए आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। आवेदन करते समय आवेदक किसान का पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, निवास प्रमाण-पत्र, बैंक खाता विवरण, राशन कार्ड, आधार से लिंक मोबाइल नंबर आदि दस्तावेज या डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होगी।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना हेतु आवेदन प्रक्रिया 

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना को यूपी सरकार की तरफ से चलाया जा रहा है। ऐसे में यूपी के पशुपालक किसान इस योजना का खूब लाभ उठा सकते हैं। 

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इसके लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीके से आवेदन किया जा सकता है। आवेदनों की तादात ज्यादा होने पर लाभार्थी का चुनाव मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा ई-लॉटरी के जरिए से किया जाएगा। 

योजना के प्रारंभिक चरण में अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, झांसी, मेरठ, प्रयागराज, लखनऊ, आगरा और बरेली जिलों के पशुपालक किसान आवेदन कर सकते हैं। 

योजना में आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने संबंधित जनपदों के पशुपालन विभाग से संपर्क साध सकते हैं।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना की विशेष बातें  

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत किसानों को दूध बिक्री के लिए संसाधन मुहैय्या कराए जाएंगे। लाभार्थी पशुपालकों को दूध का सही भाव दिया जाएगा। 

दुग्ध सरकारी समितियों द्वारा पशुपालकों को उनके गांव में ही दूध बेचने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत सरकार द्वारा सभी किसानों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा, जिससे कि भविष्य में उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके।

पशु आहार व चारा बनाने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहन 

किसानों के साथ ही पशु आहार और चारा बनाने वाले उद्योगों को भी बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिया जाएगा। योजना की निगरानी के लिए जनपद और प्रदेश समिति का गठन किया गया है। 

किसानों को पशुपालकों के साथ-साथ देशी नस्ल की गाय खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे कि दूध की मात्रा में इजाफा हो सके। इस योजना के अंतर्गत जनपद की महिलाओं की अहम भूमिका होगी। 

इस योजना में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लाभ प्रदान किया जाएगा। चयन पत्र की प्राप्ति के पश्चात लाभार्थी द्वारा 2 माह के अंदर स्वदेशी नस्ल की गिर, साहीवाल, हरियाणा या थारपारकर गाय का क्रय किया जाएगा।